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क्यों मुझे किसी ओर से इश्क नहीं होता।

क्यों वह  मर कर भी  फना नहीं होता
क्यों मुझसे अलग होकर भी जुदा नहीं होता
ऐसी कौन सी डोर है तेरे मेरे बीच जो कटती नहीं मुझसे
क्यों मुझे किसी और से इश्क नहीं होता

सभी कहते हैं मुझ में बड़ी जान है
मेरी जान मुझसे ही क्यों अनजान है
क्यों मैं जीकर जी नहीं सकता
क्यों तेरी तकलीफ मुझ पर मेहरबान है
क्यों मेरे एहसासों को सुकून नसीब नहीं होता
क्यों मुझे किसी और से इश्क नहीं होता

क्यों मुझे फूलों से खुशबू नहीं आती
क्या फूलों में खुशबू नहीं होती
क्यों कोई रंग मुझ पर नहीं चढ़ता
क्यों तेरी दीवानगी मुझसे  नहीं जाती
क्यों तेरा दर्द मेरे दिल से जुदा नहीं होता
क्यों मुझे किसी और से इश्क नहीं होता

पूछता हूं तुझसे  सब को बनाने वाले
दिल बनाकर उस दिल को तड़पाने वाले
क्यों दर्द सहने के लिए मुझे दिल दिया
और तड़पाने का हक किसी और को दिया
क्यों इस दर्द का दिन आखरी नहीं होता
क्यों मुझे किसी और से इश्क नहीं होता

तुम अपने साथ इन यादों को भी ले जाती
तो मेरी यहां थोड़ी तकलीफ कम हो जाती
क्यों तेरी जिद्द मेरे दिल से नहीं जाती
क्यों मेरी तकलीफ मुझे समझ नहीं आती
क्यों जीने का इरादा और नहीं होता
क्यों मुझे किसी और से इश्क नहीं होता

क्यों तेरे सिवा कोई और नजर नहीं आता
क्यों किसी और का ख्याल मुझे नहीं आता
ऐसा क्या था तुझ में जो किसी में नहीं
क्यों मुझे अपना गुनाह समझ नहीं आता
क्यों खुदा का यह इंसाफ कबूल नहीं होता
क्यों मुझे किसी और से इश्क नहीं होता

यह कलियां मुझे देख मुस्काती है
मुझे तन्हा देख कर खूब चिढ़ाती है
देखो इन्हें इनके फूलों पर गुरूर है
और यह मुझे फिर तेरी याद दिलाती है
क्यों तेरी मौत पर ऐतबार नहीं होता
क्यों मुझे किसी और से इश्क नहीं होता

मौलिक रचना
चेतन श्री कृष्णा

#Chetanshrikrishna

#Mainlekhakhun

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13 Comments

Suryansh

08-Sep-2022 10:28 PM

लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Seema Priyadarshini sahay

14-May-2022 06:52 PM

बेहतरीन

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